Saturday 16 May 2020

कोरोना के साथ

हवा के झोंके सी हल्की लहरें,
जब गुजरी मेरी मेज पर से,
न जानी जगमगाती चाँदनी,
न शीतलता, न फूल सी खिलती हँसी,
आँखों से मेरे ख्वाब सारे बिखर रहें है,
मेरे छूने से आज मेरे पास कोरोना है...

कुंद सा लगने लगा जीवन मेरा,
अटकी सी रूकने लगी साँसें मेरी,
अखडें हुए शरीर का बढता तापमान,
खाँसी का चढता हुआ प्रमाण,
मुझे मेरे परिवार से अलग कर रहा है,
मेरे छूने से आज मेरे पास कोरोना है...

बुखार की गोली और खाँसी की दवा,
जुकाम का सिरप तथा अज्वाईन का धुवा,
कुछ तो यहाँ काम कर गया होगा,
इन चार दिनों में ज्ञान तो पाया होगा,
रोग के लक्षणों से मुक्ति प्राप्त हो चुकी है,
मेरे छूने से आया कोरोना अब भी मुझमें मौजूद है...

आओ, कोरोना के साथ जी ने का अभ्यास जारी रखें...

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