Sunday 17 May 2020

मौके पे चौका

जैसे मैने नजर घुमायी, सम्मुख स्थित नजारा जाना
घने पेड के डाल तले, फिर जम गया मेरा निशाना
स्थान था पर्णाच्छादित और तने शाखाओं के बीच
ध्यान किसी का सहज न जाता कभी वहाँ पर खींच

देखा, दो है पहरेदार वहाँ के लगे चौकन्ने-फुर्तीले
डरावना सा रूप लिये वे निगरानी करते पहले
एक लौट कर आता अन्दर तभी दुजा बाहर जाता
किसी समय भी एक हमेशा स्थानी बन कर रहता

एक क्षण तब ऐसा आया, दक्षिण में कोलाहल पाया
दोनों पहरेदारों की फिर उस दिशा में अटकी माया
लगे देखनें दक्षिण में वे, हटा स्थान से उनका ध्यान
मैने मौका अच्छा जान, किया स्थान के प्रति प्रस्थान

स्थान पहुँच कर जैसी मैने अन्तर्भाग की की परीक्षा
जान गयी मैं, यहाँ पर होगी मेरे माल की पुरी सुरक्षा
स्थान साफ कर दो पलों में रखें वहाँ जिगर के टुकडे
उन वायसों के स्नेहभाव से अब बढते रहेंगे मेरे बछडे

1 comment:

  1. सुंदर! आधी कुणी शिकारी आहे असं वाटलेलं, पण शेवटी मस्त कलाटणी दिलीये... खूप आवडली!

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